Baalu aur Malanga | बालू और मलंगा -

Baalu aur Malanga | बालू और मलंगा

ये कहानी मेरे शहर की है। हाल ही में मैंने अपने शहर में एक अजूबा पाया। नगर में बंदर आ गए। अब शहर में रहने वाले बच्चों में बंदरों के विषय में जानने के लिए जिज्ञासा न हो तो वह बच्चा कैसा?
बालक 'बालू' की इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए इस कृति की रचना हुई। मुझे बन्दरों में तीन गुण बहुत पसन्द आये।

ये कहानी मेरे शहर की है। हाल ही में मैंने अपने शहर में एक अजूबा पाया। नगर में बंदर आ गए। अब शहर में रहने वाले बच्चों में बंदरों के विषय में जानने के लिए जिज्ञासा न हो तो वह बच्चा कैसा?
बालक ‘बालू’ की इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए इस कृति की रचना हुई। मुझे बन्दरों में तीन गुण बहुत पसन्द आये।
प्रथम, बंदरों के दल में सभी नायकों का आदेश पूर्णतौर से मानते हैं एवं उनका नायक ‘मलंगा’ सर्वप्रथम खतरे की टोह लेता है। यह प्रबंधन का आधारभूत सिद्धान्त है।
दूसरे, बंदरों का समूह आक्रमण के ही सर्वोत्तम सुरक्षा सूत्र का पालन करता है।
तीसरे, अच्छी घुड़की या भय से ही काम निकल आता है और आक्रमण की आवश्यकता ही नहीं होती।
क्या बंदरों से हम कुछ सीखेंगे?

Categories:

Publish Date:

2024-06-07

Published Year:

2024

Total Pages:

58

ISBN 10:

8197322694

ISBN 13:

978-8197322693

Format:

Staple Bound

Country:

India

Language:

Hindi

Weight:

100gm

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