
Bandar Ko Jab Chadha Bukhar | बंदर को जब चढ़ा बुखार
बालमन अपने भोलेपन में अपने चारों ओर फैली हुई प्रकृति से न जाने कितनी बातें सीखता है। यही वह आयु है जब वह हर नयी बात सीखने के लिए जिज्ञासा - मिश्रित उत्सुकता से भरा होता है। ऐसी सीखने की ललक को कविताएंँ सहज कर देती हैं। इसी बात को मन में रख बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते कई कविताएँ रचती गईं। कभी वे पशु-पक्षी के अद्भुत लोक में ले गईं तो कभी सौर मंडल की सैर कराने। कविताएं हम कभी नहीं भूलते। आशा है इन्हें पढ़ने या बच्चों को सुनाने में बड़ा मज़ा आएगा, साथ ही कुछ रोचक जानकारियाँ