Bhartendu Harishchandra Ke Maulika Naatak | भारतेन्दु हरिश्चंद्र के मौलिक नाटक -

Bhartendu Harishchandra Ke Maulika Naatak | भारतेन्दु हरिश्चंद्र के मौलिक नाटक

भारतेन्दु बाबू हिन्दी में गद्य साहित्य के प्रणेता माने जाते हैं। वैसे तो उन्होंने हर विषय और हर विधा में अपनी कलम चलाई है और उन्होंने ही दुबारा से हिन्दी में नाटक लेखन की परंपरा आरंभ की। इस पुस्तक में उनके मौलिक नाटकों को संकलित किया गया है, जिससे साहित्य प्रेमी आज से लगभग सौ-डेढ़ सौ वर्ष पूर्व की भाषा और साहित्य की परंपरा से परिचित हो सकें।"

“अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा। आपने ये पंक्तियाँ तो अवश्य सुनी होंगी। किन्तु क्या आप जानते हैं कि ये पंक्तियाँ भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र के प्रसिद्ध नाटक ‘अंधेर नगरी’ की हैं? वही भारतेन्दु हरिश्चंद्र जिनके नाम पर हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल के प्रथम युग को ‘भारतेन्दु युग’ की संज्ञा दी गई है। भारतेन्दु बाबू हिन्दी में गद्य साहित्य के प्रणेता माने जाते हैं। वैसे तो उन्होंने हर विषय और हर विधा में अपनी कलम चलाई है और उन्होंने ही दुबारा से हिन्दी में नाटक लेखन की परंपरा आरंभ की। इस पुस्तक में उनके मौलिक नाटकों को संकलित किया गया है, जिससे साहित्य प्रेमी आज से लगभग सौ-डेढ़ सौ वर्ष पूर्व की भाषा और साहित्य की परंपरा से परिचित हो सकें।”

Total Pages:

240 pages

ISBN 10:

9392723520

ISBN 13:

978-9392723520

Format:

Paperback

Country:

India

Language:

Hindi

Dimension:

21.59 x 13.97 x 1 cm

Weight:

230 gm

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