Kinchulka : Antah Asti Prarambh | किंचुलका : अंतः अस्ति प्रारंभः -

Kinchulka : Antah Asti Prarambh | किंचुलका : अंतः अस्ति प्रारंभः

भूत, भविष्य और वर्तमान कभी भी एक पटल पर नहीं आने चाहिए,
क्योंकि कहते हैं अगर ऐसा हुआ तो प्रकृति जाग जाती है और कभी-कभी प्रकृति को सुसुप्ति से जगाना वीभत्स हो जाता है।
विज्ञान ने हमें उत्सुकता दी और उत्सुकता ने प्रयोग, ऐसे ही प्रयोगों की कहानी है 
'किंचुलका'

“पापा, क्या हम राक्षस हैं?”
“तो फिर हमारे पूर्वज किंचुलका को किंचुलकासुर क्यों कहते हैं?”

भूत, भविष्य और वर्तमान कभी भी एक पटल पर नहीं आने चाहिए,
क्योंकि कहते हैं अगर ऐसा हुआ तो प्रकृति जाग जाती है और कभी-कभी प्रकृति को सुसुप्ति से जगाना वीभत्स हो जाता है।
विज्ञान ने हमें उत्सुकता दी और उत्सुकता ने प्रयोग, ऐसे ही प्रयोगों की कहानी है ‘किंचुलका : नैनम छिंदंति शस्त्राणि

उत्सुकता का एक परिणाम आकांक्षा भी होती है।
राक्षसों से लड़ने के लिए उत्पन्न किये गए सर्वशक्तिशाली किंचुलका की जब आकांक्षाएं बढ़ गई तो उसे लंबी नींद सुला दिया गया। फिर विज्ञान की आकांक्षाओं ने उसे कलियुग में जगा दिया।
जब देवताओं से अधिक शक्तिशाली और राक्षसों से अधिक वीभत्स एक महामानव जागा तब क्या हुआ? विकास या विनाश?
विज्ञान और आस्था की इसी लड़ाई का नाम है किंचुलका : नैनम छिंदंति शस्त्राणि

आखिर में एक सवाल और
“जब रक्षा करने के लिए उत्पन्न शक्ति विनाशक हो जाये तब क्या उचित है, एक और शक्ति का उदय!”

Categories:

Publish Date:

2024-12-07

Published Year:

2024

Publisher Name:

Total Pages:

32 Pages

ISBN 10:

8194642973

ISBN 13:

978-8194642978

Format:

Paperback/Comics

Country:

India

Language:

Hindi

Dimension:

20.3 x 25.4 x 4.7 cm

Weight:

100gm

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