COV-19
By: Abhishek Joshi
यूं तो चमगादड़ चीन के वुहान में बिकने पहली दफा ही आये थे, मगर जिस तरह उन्हें बेचा गया, या यूं कहें देखते ही देखते सारे ही बिक गए, सिर्फ एक इत्तेफ़ाक़ था या कोई साजिश।
जिस तरह वायरस फैला, क्या ये सिर्फ एक बीमारी हैं या कोई बायो-वेपन?
सीआईए, रॉ और दुनिया की जानी मानी सीक्रेट एजेंसीज़ क्या चाहतीं हैं?
अमेरिका और चीन की इसमें क्या भूमिका है, और क्यूँ थी सबकी नजर भारत पर?
“हेलो! वाइट हाउस…”
“अगर काम हो गया है तो उधर से निकल जाओ, और दोबारा कॉल मत करना।”
यूं तो चमगादड़ चीन के वुहान में बिकने पहली दफा ही आये थे, मगर जिस तरह उन्हें बेचा गया, या यूं कहें देखते ही देखते सारे ही बिक गए, सिर्फ एक इत्तेफ़ाक़ था या कोई साजिश।
जिस तरह वायरस फैला, क्या ये सिर्फ एक बीमारी हैं या कोई बायो-वेपन?
सीआईए, रॉ और दुनिया की जानी मानी सीक्रेट एजेंसीज़ क्या चाहतीं हैं?
अमेरिका और चीन की इसमें क्या भूमिका है, और क्यूँ थी सबकी नजर भारत पर?
नैंसी पार्कर; भावी उपराष्ट्रपति, इस पूरे मामले की जांच चाहती है।
नोर्बेर्ट; रोम में रहने वाला एक बूढ़ा, जिसे आत्महत्या करनी है।
डॉ॰ सोलोमन; जिसके पास वैक्सीन बनाने का ठेका है।
इनमें से कोई तो है जो जानता है कोविड-19 का काला सच।
जानने के लिए पढ़िए, आखिरी प्रेम गीत जैसे सफल और चर्चित उपन्यास के लेखक, अभिषेक जोशी का नायाब अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक थ्रिलर
COV-19: अंत या नई शुरुआत